शिकवा नहीं तुजसे
शिकवा नहीं तुजसे ये खेल लकीरो का;
ज़माना हुआ तेरा कोई नहीं फकीरो का;
करके इबादत तुझको पाना था सनम;
मिलना बिछड़ना है खेल तकदीरो का;
बैठे मयखाने मैं पिने की खुवाईश मैं;
हाल ऐ बेहाल करना खेल रक़ीबो का;
ज़ख्मो को सीते हुए उफ़ ना किया ;
दर्द मिला जाल-साजियो के तीरो का;
वार पे वार हुए हम बेखबर रह गए;
उसको चाहत का नहीं मोह था हीरो का;
कोण पूछता है हाल दीवानो का ;
यहाँ तो चर्चा हुआ मेह-ज़बीनो का;
ठोकरे ही पड़ती है इश्क़ मैं जीत;
नादान है जो गुलाम हसीनो का;
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