वोह मंजिल से भटक कर बोहत दूर चले गए,,,,,,,,,,,,,,2 line shayari

                             वोह मंजिल से भटक कर बोहत दूर चले गए







वोह मंजिल से भटक कर बोहत दूर चले गए;आंधी ऐसी चली के कदमो के निशाँ मिट गए;





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